
जिसने भगवान को पहचान लिया, उसके लिए तो संसार में कोई अस्पृश्य नहीं है, उसके मन में ऊँच-नीच का भेद कहाँ ! अस्पृश्य तो वह प्राणी है जिसके प्राण निकल गए हों अर्थात वह शव बन गया हो. अस्पृश्यता एक वहम है. जब कुत्ते को छूकर, बिल्ली को छूकर नहाना नहीं पड़ता तो अपने समान मनुष्य को छूकर हम अपवित्र कैसे हुए.
- लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल