नेताजी की 125वीं जयंती एवं पराक्रम दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने आयोजित किया रक्तदान शिविर और विशेष व्याख्यान
भोपाल। कोरोना काल में रक्त की आपूर्ति एवं रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती एवं पराक्रम दिवस के उपलक्ष्य में रक्तदान शिविर आयोजित किया गया। शिविर में एनएसएस एवं एनसीसी के स्वयंसेवकों के साथ ही शिक्षकों ने भी रक्तदान किया। पराक्रम दिवस के अवसर पर एक व्याख्यान भी आयोजन किया गया, जिसमें अभेद्य के संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री अमिताभ सोनी बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुए।
विश्वविद्यालय के रासेयो इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने बताया कि कोरोना महामारी के डर के चलते लोगों में रक्तदान को लेकर भय है जिसके कारण ब्लड डोनेशन कम हो रहा है, जबकि इस समय रक्त की सबसे अधिक आवश्यकता है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती से अच्छा कोई अवसर नहीं हो सकता है। वहीं, एनसीसी के पीओ श्री मुकेश चौरासे ने बताया कि रेडक्रॉस संस्था के ब्लड बैंक के लिए विश्वविद्यालय की एनएसएस, एनसीसी इकाई के स्वयंसेवकों एवं प्राध्यापकों ने 30 यूनिट रक्तदान किया। शिविर में रासेयो के अभिलाष ठाकुर, प्रवीण कुशवाहा, सौरभ चौकसे, प्रतीक वाजपेयी, अभिषेक मिश्रा, अभिषेक द्विवेदी, कृष्णा, ऐश्वर्या समेत अन्य स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
पराक्रम दिखाने से ही जीवित है भारत की संस्कृति : अमिताभ सोनी
पराक्रम दिवस पर आयोजित विशेष व्याख्यान में अभेद्य के संस्थापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्री अमिताभ सोनी ने कहा कि आज भारत की संस्कृति जीवित है क्योंकि हमने सदैव पराक्रम दिखाया है। अनेक प्रकार के आक्रमणों के विरुद्ध हमारी सभ्यता ने बहुत संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि लम्बे समय तक हमें हमारे देश की सही पहचान से दूर रखा गया है। मीडिया के विद्यार्थियों को संचार माध्यमों से भारत की वास्तविक पहचान को मजबूत करना चाहिए। श्री सोनी ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व में सैन्य प्रशिक्षण का बहुत प्रभाव है। भारत की सेना ने कठिनतम परिस्थितियों में भी सदैव पराक्रम दिखाया है। हमें भारतीय सेना का सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि हमें अपने करियर पर नहीं, बल्कि कर्म पर अधिक ध्यान देना चाहिए, करियर तो अपने आप बन जायेगा। पश्चिम के प्रभाव में आज ‘मैं’ हावी हो गया है। इसलिए हम इन प्रश्नों का उत्तर खोजने में समय लगाते हैं कि मैं अमीर कैसे बनूँ? मैं सफल कैसे हो जाऊं? जबकि भारत की परम्परा में यह खोज और चिंतन का विषय रहा है कि ‘मैं कौन हूँ’? उन्होंने गीता के कई प्रसंगों का उल्लेख कर युवाओं को बताया कि भारत पुण्यभूमि है इसलिए हमारी धरती पर महापुरुषों की एक लम्बी परम्परा है। इस अवसर पर सहायक प्राध्यापक श्री लोकेन्द्र सिंह ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती सही मायने में पराक्रम दिवस है। उनका जीवन हमें पराक्रम की प्रेरणा देता है। जिस समय देश में ब्रिटिश सरकार की जड़ें बहुत गहरी हो गयीं थी तब नेताजी ने आज़ाद हिन्द फौज का गठन करके अंग्रेज सरकार को हिला दिया। दुनिया भर में संपर्क कर भारत की स्वतंत्रता के लिए जनसमर्थन एवं सामरिक शक्ति एकत्र की। नेताजी द्वारा स्थापित भारत की पहली स्वतंत्र सरकार को 11 देशों का समर्थन प्राप्त था। उन्होंने कहा कि युवा ही भारत की शक्ति है और जब युवा जागेगा तभी भारत की नई तस्वीर विश्व के सामने आएगी। नेताजी ने नारी शक्ति के पराक्रम को भी दुनिया के सामने स्थापित किया और आज़ाद हिन्द फौज में रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर महिला रेजिमेंट बनाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलसचिव प्रो. अविनाश वाजपेयी ने कहा कि युवा पीढ़ी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन से सीख लेनी चाहिए। उनका संघर्ष और बलिदान हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। आभार प्रदर्शित करते हुए वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. पवन सिंह मलिक ने कहा कि नेताजी ने बताया कि जीवन से बड़ा होता है देश और जब हम मिटते हैं तो देश खड़ा होता है। हम सबको इस ध्येय वाक्य को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गजेंद्र सिंह अवास्या ने किया और अतिथियों का स्वागत सहायक प्राध्यापक श्री मुकेश चौरसे ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, एनसीसी एवं एनएसएस के विद्यार्थी उपस्थित रहे।