गुरुपूर्णिमा के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में स्वयंसेवक उत्साह के साथ पहुँचते हैं। शाखा में पहुंचकर स्वयंसेवक ध्वज-पूजन करते हैं, संघ के स्वयंसेवक ध्वज को ही गुरु मानते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि संघ में भगवा को ही गुरु क्यों मना जाता है।
एडवांस कलर थेरेपी के अनुसार भगवा रंग समृद्धि और आनंद का प्रतीक माना जाता है, यह रंग न केवल आँखों को एक अपूर्व राहत व शांति देता है बल्कि मानसिक रूप से संतुलन बनाने के साथ यह क्रोध पर नियंत्रण करते हुए प्रसन्नता को बढ़ाता है.
ज्योतिष शास्त्र में भगवा रंग वृहस्पति गृह का रंग है. यह ज्ञान को बढाने और आध्यात्मिकता का प्रसार करता है. भगवा पवित्र रंग है और युगों से हमारे धार्मिक आयोजनों में और साधु-संतों के पहनावे में प्रयोग होता रहा है. हमारे पूर्वज भगवा ध्वज के सम्मुख नतमस्तक होते रहे हैं. सूर्य में विधमान आग और वैदिक यज्ञ की समिधा से निकलने वाली आग भी भगवा रंग की है.
भारतवर्ष में विदेशी आक्रांताओं और आक्रमणकारियो के खिलाफ युद्ध भी भगवा ध्वज के तले ही लड़े गए.भगवा रंग प्रकृति से भी जुड़ा हुआ है, सूर्यास्त और सूर्योदय के समय ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति का पुनर्जन्म हो रहा हो. सूर्य की यह लालिमा नकारात्मक तत्वों साफ़ करती है.
यह 1 कारण है कि संघ में भगवा को गुरु माना जाता है.
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