शिवमंदिर का ताला खोलने की मांग तेज।
रायसेन दुर्ग में बने भगवान शिव के मंदिर में लगे ताले खोलने की मांग लगातार तेज होती जा रही है. यहाँ के रहवासी शासन-प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि श्रावण सोमवार पर मंदिर के गेट खोलने की बात कही है. श्रावण के प्रथम सोमवार को रायसेन के दुर्ग में बने इस मंदिर में भक्त जल चढाने पहुंचें. गेट बंद होने की वजह से सभी श्रद्धालु दुःखी मन से भगवान को गेट के बाहर से ही जल चढ़ाकर दर्शन कर लौट गए.
हालांकि यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी लोग मंदिर के ताले को खोलने की अपील करते आये हैं. परन्तु अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
उल्लेखनीय है कि रायसेन स्तिथ दुर्ग पर यह मंदिर बना हुआ है. दुर्ग पर 11वीं शताब्दी के आस-पास पर मुस्लिम शासकों ने कई बार हमले किए। इस दौरानआक्रमणकारियों ने मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था. वर्ष 1974 में नगर के लोगों ने एकजुट होकर मंदिर खोलने और यहां स्थित शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन किया था. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने महाशिवरात्रि पर खुद आकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी. तब से हर महाशिवरात्रि पर मंदिर के ताले श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं. जो उसी दिन खुलता है.
मंदिर श्रद्धालुओं को दर्शनों हेतु खोला जाये इसके लिये लंबे समय से मांग तेज है. कुछ माह पूर्व प्रिसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने और फिर मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती ने भी मंदिर में लगे ताले को खोलने की प्रमुखता से मांग की थी. परन्तु मंदिर उसी स्तिथि में बना हुआ है.
श्रावण सोमवार को श्रद्धालु जल चढाने मंदिर पहुंचें और एकत्रित होकर मंदिर में लगे ताले की बात है. युवाओं ने उमा भारती की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, सोमेश्वर मंदिर को लायीं गंगोत्री को मंदिर का गेट खुलवाकर जलाभिषेक करने की बात कही.