डॉक्टर आंबेडकर : सामाजिक समरसता के पक्षधर

08 Apr 2023 20:06:45
डॉ आंबेडकर
 
मध्यभारत प्रान्त की जागरण पत्रिका हिन्दू गर्जना का मई माह का अंक आ गया है। इसमें लेखक एवं विचारक निखिलेश महेश्वरी जी का डॉ भीमराव आम्बेडकर जी के जीवन के सामजिक समरसता पर आधारित सूत्रों पर केन्द्रित आलेख। 
 
हिन्दू गर्जना का अंक अप्रैल 2023
 
भारतीय सनातन संस्कृति अनादि, अनंत और चिर पुरातन है। अपनी सनातन संस्कृति ने अनेक उतार- चढ़ाव, संघर्ष के साथ अपने को सुरक्षित और जीवित रखा। गत दो हजार वर्षो में शक, हूण, यवन, मुस्लिम और अंग्रेजों के आक्रमण से अनेक कुरीतियों ने इस सनातन संस्कृति को ग्रसित करने का प्रयास किया। इन कुरीतियों से मुक्तित दिलाने के लिए समय-समय पर अनेक महापुरुषों ने इस भारत भूमि पर जन्म लेकर उसको निर्दोष करने के निरंतर प्रयत्न किए।
 
समाज में निर्मित कुरीतियों में सबसे बड़ा अभिशाप सामाजिक भेदभाव और अस्पृश्यता है। इस अस्पृश्यता नाम की महामारी को दूर करने का प्रयास संत रामानंद, वीर सावरकर, महात्मा गांधी एवं डॉक्टर हेडगेवार आदि ने किया। यह सब महापुरुष सामान्य वर्ग से रहे लेकिन जिनके साथ भेदभाव हुआ उनमें से किसी व्यक्ति ने उसका पुरजोर विरोध कर कथाकथित अस्पृश्य समाज को सम्मान से जीने का अधिकार दिलाया तो वह डाक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर हैं।
 
डॉक्टर आंबेडकर ने भारतीय संस्कृति, धर्म एवं राष्ट्रीय भावना को बिना कोई हानि पहुंचाए समाज में सामाजिक समरसता का वातावरण बनाने हेतु जीवन भर संघर्ष किया। वर्तमान समय में हिंदुत्व एवं राष्ट्रीयता की भावना को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से अपने निजी स्वार्थी के लिए कतिपय लोग बाबा साहब आंबेडकर के विचारों के विपरीत कार्य कर रहे हैं। जबकि डॉक्टर आंबेडकर के जीवन का एक दूसरा पहलू यह है जिसमें उनकी जीवन यात्रा में उस समय के उच्च वर्ण के लोगों ने उनका सहयोग किया और उनके समकालीन महापुरुषों द्वारा हिन्दू धर्म में एकात्मता और समरसता का प्रयत्न किया। यह राष्ट्र और समाज न बिखरे, इसकी चिंता बाबा साहब के विचार, कृति द्वारा दिए संदेश से स्पष्ट देखा जा सकता है।
 
डॉ आंबेडकर ने अंग्रेज को सौंपे गुप्त प्रतिवेदन में लिखा- इस्लामी भ्रातृत्व विश्वव्यापी भ्रातृत्व नहीं है। वह मुसलमानों का मुसलमानों को लेकर ही है। वह एक बन्धुत्व है, लेकिन उसका उपयोग उनकी एकता तक ही सीमित है। जो उसके बाहर है, उनके लिए उनमें घृणा व शत्रुत्व के अलावा अन्य कुछ नहीं है।
 
बाबा साहब सामाजिक भेदभाव एवं वर्तमान समय में हिंदुत्व एवं राष्ट्रीयता की भावना को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से अपने निजी स्वार्थों के लिए कतिपय लोग बाबा साहब आंबेडकर के विचारों के विपरीत कार्य कर रहे हैं। जबकि डॉक्टर आंबेडकर के जीवन का एक दूसरा पहलू यह है जिसमें उनकी जीवन यात्रा में उस समय के उच्च वर्ण के लोगों ने उनका सहयोग किया और उनके समकालीन महापुरुषों द्वारा हिन्दू धर्म में एकात्मता और समरसता का प्रयत्न किया।
 
अस्पृश्यता से मुक्त एक हिन्दुत्व निष्ठ समरस समाज का स्वप्न साकार करना चाहते थे। इसीलिए जब भारत का संविधान निर्माण करते हैं तब भी वह हिंदुत्व निष्ठभाव से भरे दिखाई देते हैं। आंबेडकर जी संविधान निर्माण में सभी समाज और जिस जाति को वह सम्मान दिलाना चाहते थे। उसे उन्होंने कानूनी रूप से मान्यता दिलाई। जिस प्रकार के विधान की आवश्यकता भारत को थी उसकी रचना उन्होंने की सुशासन कैसा हो तो राम दरबार का चित्र संविधान की मूलप्रति में जोड़कर उन्होंने भारत की आदर्श राज्य व्यवस्था को दर्शाया। कई स्थानों पर वेदों की ऋचाओं का उल्लेख कर भारतीय जीवन मूल्य को मान्यता दी।
 
हिन्दू गर्जना का अंक अप्रैल 2023
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