भोपाल. मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में शिक्षा विभाग ने 56 मदरसों की मान्यता रद्द कर दी है। इन मदरसों में से 54 केवल कागजों पर ही संचालित थे और फर्जी तरीके से सरकारी अनुदान प्राप्त कर रहे थे। यह कार्रवाई जिला शिक्षा अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है, यह प्रक्रिया लगभग गत डेढ़ माह से जारी थी।
फर्जी मदरसों का बड़ा घोटाला -
जांच के दौरान कई जगह रिकॉर्ड में दर्ज छात्रों का कोई अता-पता नहीं चला, और कई स्थानों पर मदरसे ही नहीं मिले। जांच अधिकारियों ने पाया कि कई ऐसे नाम भी थे जिन्हें मदरसा छोड़े हुए सालों हो गए थे, लेकिन उनके नाम पर अभी भी शासकीय सहायता प्राप्त की जा रही थी। इसके अलावा, मदरसों में डॉक्टर और इंजीनियरों के नाम से तक खाद्यान्न लिया जा रहा था। कई बच्चों के नाम सालों बाद दोबारा लिखे गए हैं।
बाल आयोग की रिपोर्ट और जांच प्रक्रिया -
हाल ही में बाल आयोग ने बताया था कि मध्यप्रदेश के लगभग 1500 मदरसों में 9400 से अधिक हिंदू बच्चों के नाम दर्ज हैं। इस रिपोर्ट के बाद प्रदेश की मुख्य सचिव को बाल आयोग ने दिल्ली बुलाकर सवाल-जवाब किए थे, जिसके बाद से प्रदेश में ऐसे मदरसों और मिशनरी संस्थानों की जांच की प्रक्रिया तेज हो गई।
भविष्य की कार्रवाई और संभावित रिकवरी -
प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में अवैध मदरसों के होने का अनुमान है। श्योपुर के मदरसा संचालकों का कहना है कि वे इस आदेश का अध्ययन करेंगे और जरूरत पड़ी तो कोर्ट में चुनौती देंगे। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन मदरसों पर लगभग 125 करोड़ रुपये तक की रिकवरी निकल सकती है, जिससे अवैध मदरसा संचालकों में हड़कंप मच गया है। इस कार्रवाई के बाद श्योपुर जिले में अब सिर्फ 24 वैध मदरसे रह गए हैं, लेकिन ये भी अभी संदेह के घेरे में हैं। मदरसा संचालकों के बीच मची हलचल और प्रशासन की सख्ती ने यह साफ कर दिया है कि अब फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।