
भोपाल। बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में संपूर्ण देश के संघकार्य का वृत्त प्रस्तुत किया गया, जिसके अनुसार देश के विभिन्न भागों सहित मध्यभारत प्रांत में भी तेजी से संघकार्य बढ़ रहा है। शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखकर कार्यकर्ताओं ने मंडल और बस्ती तक संघकार्य को पहुँचाने के प्रयास किए हैं। वर्तमान समय में मध्यभारत प्रान्त में संघ की रचना से महानगरीय एवं ग्रामीण जिलों के 2129 स्थानों पर 3384 शाखाएं चल रही हैं। जिनमें महानगर में 37 स्थानों पर 490 शाखाएं एवं ग्रामीण जिलों में 2092 स्थानों पर 2894 शाखाएं चल रही हैं। इसके साथ ही 617 स्थानों पर 849 साप्ताहिक मिलन के रूप में संघकार्य चल रहा है। शताब्दी वर्ष में प्रान्त की प्रत्येक बस्ती और मंडल तक संघ के कार्यविस्तार का लक्ष्य है। इसके अलावा संघ के स्वयंसेवकों द्वारा समाज के साथ मिलकर सेवा बस्तियों में सेवाकार्य भी चलाये जा रहे हैं। वर्तमान में शाखाओं द्वारा 213 सेवा उपक्रम किए जा रहे हैं। संघ ने जिन बस्तियों को सेवा बस्ती के रूप में चिह्नित किया है, ऐसी 715 सेवा बस्तियों में से 232 में शाखाएं चल रही हैं, 445 बस्तियों में सेवा कार्यों का संचालन किया जा रहा है और 380 सेवा बस्तियों में स्वयंसेवकों का नियमित संपर्क है।
संघकार्य की समझ बढ़ाने एवं कार्यकताओं के व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से संघ प्रतिवर्ष संघशिक्षा वर्गों को आयोजन करता है। तीन दिवस के 144 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए, जिनमें 8332 स्वयंसेवक शामिल हुए। 7 दिवस की अवधि के 44 प्राथमिक वर्गों में 3571 स्वयंसेवक शामिल हुए। इसी तरह, 15 दिन के संघ शिक्षा वर्ग 1178, कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 में 230 और कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 में 35 स्वयंसेवकों ने संघकार्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
मध्यभारत में किए गए उल्लेखनीय प्रयास :
मध्यप्रदेश के विदिशा विभाग की 56 व्यवसायी शाखाओं के प्रयासों का उल्लेख प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह के वृत्त में आया है। विदिशा की चयनित 56 व्यवसायी शाखाओं ने अपने शाखा क्षेत्र का सामाजिक अध्ययन कर वहाँ की प्रमुख समस्याओं को चिन्हित किया और समाज की सज्जनशक्ति को साथ लेकर उनके समाधान हेतु पहल की। इन शाखाओं ने नशा मुक्ति, सरकारी विद्यालय में बच्चों की कम उपस्थिति, गो-संरक्षण, नर्मदा जी का संरक्षण, सिंगल यूज प्लास्टिक पर कार्य, फलदार वृक्षों की कमी, लव जिहाद, धार्मिक जागृति का अभाव, संस्कार शिक्षण कमी, अस्वच्छता, मोबाइल गेमिंग, हिंदू परिवार पलायन, इस तरह से 103 प्रकार की समस्याएं चिन्हित की। इस प्रकार के कार्य मध्यभारत के अन्य विभागों में भी चल रहे हैं। राजगढ़ में सामाजिक समरसता, भोपाल में सेवा कार्य एवं हिन्दू पलायन, ग्वालियर में सिंगल यूज प्लास्टिक एवं नशा मुक्ति, नर्मदापुर में पर्यावरण संरक्षण इत्यादि विषयों को लेकर विशेष प्रयत्न किए जा रहे हैं।
शताब्दी वर्ष पर प्रांत में संघ की योजना :
• विजयादशमी-2025 उत्सव : अधिकतम स्थानों पर गणवेश में कार्यक्रम। मण्डल, खंड, नगर स्तर पर संचलन भी निकालने की योजना है।
• व्यापक गृह संपर्क : प्रत्येक गाँव एवं बस्ती के प्रत्येक घर तक संपर्क करने की योजना है। पूर्व में वर्ष 2000 में डॉ. केशव हेडगेवार की जन्मशती एवं श्रीराममंदिर के लिए श्रद्धा निधि संग्रह के लिए भी स्वयंसेवक समाज में व्यापक स्तर पर संपर्क कर चुके हैं।
• हिन्दू सम्मेलन : सभी मंडलों और बस्तियों में हिन्दू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक के जीवन में एकता और सद्भाव, राष्ट्र के विकास में सभी का योगदान और पंच परिवर्तन में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी, का संदेश दिया जाएगा।
• सद्भाव बैठक : खंड/नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिसमें एक साथ मिलकर रहने पर बल दिया जाएगा। बैठकों का उद्देश्य सांस्कृतिक आधार और हिन्दू चरित्र खोए बिना आधुनिक जीवन जीने का संदेश देना होगा। उन्होंने महाकुम्भ का उदाहरण दिया, जहां सभी क्षेत्रों के लोग एक साथ आए थे।
• नागरिक गोष्ठी : हिंदुत्व, पंच परिवर्तन, राष्ट्रीयता, एक राष्ट्र एक जन एक संस्कृति, इस प्रकार के विषयों पर नागरिक संवाद आयोजित किए जाएंगे। जिला स्तर पर आयोजित इन कार्यक्रमों में राष्ट्रीय विषयों पर सही विमर्श स्थापित करने और आज प्रचलित गलत विमर्श को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
• युवाओं से संवाद : युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 15 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए राष्ट्र निर्माण, सेवा गतिविधियों और पंच परिवर्तन पर केंद्रित कार्यक्रम किए जाएंगे।
पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर के 300वें जयंती वर्ष पर प्रांत में किए गए कार्यक्रम :
पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर के 300वें जयंती वर्ष को मनाने का निर्णय पिछले वर्ष प्रतिनिधि सभा में लिया गया था। इस संदर्भ में वर्षभर में प्रांत में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। प्रांत के शासकीय 16 जिलों में 273 व्याख्यान आयोजित किए गए, जिनमें कुल 32,404 लोग उपस्थित हुए। इनमें मातृशक्ति की संख्या 14,487 और बंधु 17,917 उपस्थित रहे। विद्यालय और महाविद्यालय में कुल 496 स्थानों पर प्रबोधन/व्याख्यान के कार्यक्रम आयोजित हुए। मुरैना में मंदिरों की स्वच्छता का अभियान लिया गया। गुना में देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन चरित्र पर आधारित नाटक का मंचन किया गया। अशोक नगर, राजगढ़ और सीहोर में शोभा यात्राएं निकाली गईं। नर्मदापुरम में शिल्पकारों द्वारा निर्मित उत्पाद की प्रदर्शनी और बिक्री की गई। बैतूल में गौ उत्पादों के निर्माण का प्रशिक्षण और विपणन की कार्यशाला चार स्थानों पर की गई।
बांग्लादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा पर प्रस्ताव :
संघ ने प्रतिनिधि सभा में ‘बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता से खड़े रहने का आह्वान’ शीर्षक से एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किया। इसमें संघ की प्रतिनिधि सभा ने बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर इस्लामी कट्टरपंथी तत्वों द्वारा लगातार हो रही सुनियोजित हिंसा, अन्याय और उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संघ की दृष्टि में यह स्पष्ट रूप से मानवाधिकार हनन का गम्भीर विषय है। बांग्लादेश में वर्तमान सत्ता पलट के समय मठ-मंदिरों, दुर्गा पूजा पंडालों और शिक्षण संस्थानों पर आक्रमण, मूर्तियों का अनादर, नृशंस हत्याएँ , संपत्ति की लूट, महिलाओं के अपहरण और अत्याचार, बलात् मतांतरण जैसी अनेक घटनाएँ लगातार सामने आ रही हैं। इन घटनाओं को केवल राजनीतिक बताकर इनके मजहबी पक्ष को नकारना सत्य से मुंह मोड़ने जैसा होगा, क्योंकि अधिकतर पीड़ित, हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों से ही हैं। संघ का मानना है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियाँ जानबूझकर भारत के पड़ोसी क्षेत्रों में अविश्वास और टकराव का वातावरण बनाते हुए एक देश को दूसरे के विरुद्ध खड़ा कर अस्थिरता फैलाने का प्रयास कर रही हैं। प्रतिनिधि सभा, चिंतनशील वर्गों और अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े विशेषज्ञों से अनुरोध करती है कि वे भारत विरोधी वातावरण, पाकिस्तान तथा ‘डीप स्टेट’ की सक्रियता पर दृष्टि रखें और इन्हें उजागर करें। अपने प्रस्ताव के माध्यम से प्रतिनिधि सभा ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह बांग्लादेश के हिंदू समाज की सुरक्षा, गरिमा और सहज स्थिति सुनिश्चित करने के लिए वहाँ की सरकार से निरतंर संवाद बनाए रखने के साथ साथ हर सम्भव प्रयास जारी रखे। प्रतिनिधि सभा हिन्दू समुदाय एवं अन्यान्य देशों के नेताओं से तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से आह्वान करती है कि वे बांग्लादेशी हिंदू तथा अन्य अल्पसंख्यक समाज के समर्थन में एकजुट होकर अपनी आवाज उठाएँ।
संघ शताब्दी के उपलक्ष्य में संकल्प :
संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्म में प्रतिनिधि सभा में ‘विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिन्दू समाज का निर्माण’ के लिए संकल्प भी लिया गया। संघ का यह मानना है कि धर्म के अधिष्ठान पर आत्मविश्वास से परिपूर्ण संगठित सामूहिक जीवन के आधार पर ही हिंदू समाज अपने वैश्विक दायित्व का निर्वाह प्रभावी रूप से कर सकेगा। अतः हमारा कर्त्तव्य है कि सभी प्रकार के भेंदों को नकारने वाला समरसता युक्त आचरण, पर्यावरणपूरक जीवनशैली पर आधारित मूल्याधिष्ठित परिवार, 'स्व'बोध से ओतप्रोत और नागरिक कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्ध समाज, का चित्र खड़ा करने के लिए हम सब संकल्प करते हैं। हम इसके आधार पर समाज के सब प्रश्नों का समाधान, चुनौतियों का उत्तर देते हुए भौतिक समृद्धि एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण समर्थ राष्ट्रजीवन खड़ा कर सकेंगे। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सज्जन शक्ति के नेतृत्व में संपूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के सम्मुख उदाहरण प्रस्तुत करने वाला समरस और संगठित भारत का निर्माण करने हेतु संकल्प करती है।
महारानी अब्बक्का का 500वाँ जयंती वर्ष :
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में स्वतंत्रता सेनानी एवं महारानी अबक्का का स्मरण भी किया गया। महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं वर्षगांठ के अवसर पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने वक्तव्य जारी किया। भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी उल्लाल महारानी अबक्का एक कुशल प्रशासक, अजेय रणनीतिकार और महापराक्रमी शासक थी। उन्होंने उल्लाल संस्थान, दक्षिण कन्नड (कर्नाटक) पर सफलतापूर्वक शासन किया था। उनके जन्म की 500वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनकी अजेय विरासत को ह्रदय से विनम्र श्रद्धासुमन अर्पण करता है। उन्होंने कहा कि महारानी अबक्का ने अजेय समझे जानेवाले पुर्तगालियों से छोटे से राज्य उल्लाल (दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक) की वीरता से रक्षा की। उनके योगदान को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने 2003 में डाक टिकट जारी किया तथा 2009 में एक गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा। सरकार्यवाह जी ने राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान, साहस तथा नेतृत्व से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।
संपूर्ण देश में संघ कार्य का विस्तार :
प्रतिनिधि सभा में सरकार्यवाह जी ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि संपूर्ण देश में 51,570 स्थानों पर प्रतिदिन कुल 83,129 शाखाएं संचालित की जाती हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10,000 से अधिक हैं, गत वर्ष यह संख्या 73,646 थी। साप्ताहिक मिलन में पिछले वर्ष की तुलना में 4,430 की वृद्धि हुई है, जहां शाखाओं और मिलन की कुल संख्या 1,15,276 है। संघ अपने शताब्दी वर्ष के दौरान कार्य के विस्तार की दिशा में काम कर रहा है, उसमें ग्रामीण मंडलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा है। संघ ने संगठनात्मक योजना के तहत देश को 58,981 ग्रामीण मंडलों में विभाजित किया है, जिनमें से 30,717 मंडलों में दैनिक शाखाएँ और 9,200 मंडलों में साप्ताहिक मिलन चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सरसंघचालक जी ने कार्यकर्ताओं से संघ कार्य विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए दो वर्ष का समय देने का आह्वान किया था, जिस पर 2,453 स्वयंसेवकों ने संघ कार्य के विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए स्वयं को समर्पित किया। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह कि संघ कार्य में युवाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। हर वर्ष लाखों युवा, विशेषकर 14-25 आयु वर्ग के संघ से जुड़ रहे हैं। देश भर में कुल 4,415 प्रारंभिक वर्ग आयोजित किए गए। इन वर्गों में 2,22,962 स्वयंसेवक शामिल हुए, जिनमें से 1,63,000 स्वयंसेवक 14-25 आयु वर्ग और 20,000 से अधिक स्वयंसेवक 40 वर्ष से अधिक आयु के थे। संघ वेबसाइट (www.rss.org) पर ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से साल 2012 से अब तक 12,72,453 से अधिक लोगों ने संघ से जुड़ने में रुचि दिखाई है, जिनमें से 46,000 से अधिक महिलाएं हैं। ऐसी हजारों महिला कार्यकर्ता विभिन्न क्षेत्रों में संघ की विभिन्न गतिविधियों में कार्य कर रही हैं।
प्रतिवेदन में राष्ट्रीय परिदृश्य का विश्लेषण :
सरकार्यवाह जी के प्रतिवेदन में महाकुंभ का भी उल्लेख आया है। महाकुम्भ के दौरान संघ से प्रेरित अनेक संस्थाओं और संगठनों ने विभिन्न प्रकार के सेवा, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और वैचारिक आयोजन किए। ‘सक्षम’ द्वारा आयोजित नेत्र कुम्भ में महाकुम्भ में आने वाले लोगों के लिए निशुल्क नेत्र परीक्षण, चश्मे का वितरण तथा आवश्यकता पड़ने पर मोतियाबिंद की सर्जरी की व्यवस्था की गई। निःशुल्क नेत्र परीक्षण से 2,37,964 लोगों ने लाभ उठाया, जबकि 1,63,652 लोगों को निःशुल्क चश्में तथा 17,069 लोगों ने निःशुल्क मोतियाबिंद की सर्जरी करवाई। 53 दिनों तक चले सेवा कार्य में 300 से अधिक नेत्र विशेषज्ञों तथा 2800 कार्यकर्ताओं ने काम किया।
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि ने कुम्भ को थर्मोकोल प्लेट या पॉलीथिन बैग मुक्त बनाने के लिए अनेक संगठनों के सहयोग से ‘एक थाली-एक थैला अभियान’ चलाया। अभियान के तहत देशभर में स्टील प्लेट तथा कपड़े के थैलों का बड़ी संख्या में संग्रह किया गया। कार्यकर्ताओं ने 2241 संस्थाओं के सहयोग से 7258 केंद्रों पर कुल 14,17,064 प्लेटें और 13,46,128 थैले एकत्रित किए, जिन्हें कुम्भ के विभिन्न पंडालों में वितरित किया गया। यह अभियान अपने आप में एक अनूठा प्रयोग था और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने तथा स्वच्छ कुम्भ के विचार को जन-जन तक पहुँचाने में सफल रहा।